दिल्ली का सांप्रदायिक मंथन!
*हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार ?*
दिल्ली में जो CAA को लेकर मुस्लिम समाज का प्रदर्शन चल रहा उसे अनुचित ठहराना जल्दबाजी होगी क्योंकि लोकतंत्र में सरकार के फैसलों से यदि किसी वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो शांतीपूर्ण ढंग से अपना विरोध व्यक्त कर सकते हैं लेकिन सामाजिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाकर , सार्वजनिक मार्गों को बाधित करके , सार्वजनिक एवं निजि संपत्ति को हानि पहुंचाकर विरोध व्यक्त करना सर्वथा अनुचित है , यदि समाज का कोई वर्ग विरोध व्यक्त करने के लिए उक्त तरीकों को अपनाता है तो पुलिस का कार्यवाही करना लाजमी है , लेकिन पुलिस पर भी यदि आप हमला करते हो और वो भी इस प्रकार का कि जान ही चली जाये फिर तो यह समझना अनुचित नहीं होगा कि यह आंदोलन सांप्रदायिक है और वाहाबी विचारधारा से प्रेरित है , क्योंकि जब सरकार साफ कर चुकी है कि यह कानून नागरिकता देने का लेने का नहीं ,और यह नागरिकता उनको दी जायेगी जो अफगानिस्तान , पाकिस्तान , तथा बांगलादेश में अल्पसंख्यक हैं और जिनका धार्मिक उत्पीड़न हो रहा है फिर भी न जाने क्यों विपक्ष कुतर्क युक्त दलीलें दे रहा है, भाजपा सरकार जब से सत्ता में दूसरी बार आयी है उसने देशहित में काफी बडे फैसले लिए हैं जैसे तीन तलाक , अनुच्छेद 35-A , 370 , और अब CAA लेकिन विपक्ष एवं चंद कट्टपंथियों ने इसको धर्म के साथ जोडकर देश में जहर फैलाने का काम किया है जो कि भारत के भविष्य के लिए अवोन्नति का कारण बन सकता है , भारत में विपक्ष की भूमिका धीरे -धीरे सहयोगी से खलनायक की बनती जा रही है जो कि काफी बडा चिंता का विषय है, इसका शीघ्र से शीघ्र उचित समाधान निकाला जाना चाहिए और शांति तथा कानून व्यवस्था को उचित ढंग से स्थापित किया जाना चाहिए।
- प्रीतम सिंह महर (समाजशास्त्री)
( ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं Fynclick का इससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है)
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