गुलाम वंश ( gulam vans )-
यह कहानी है इतिहास के उस वंश की जिस से शुरू होता है भारत में सल्तनत काल, सल्तनत काल का भारत के इतिहास में विशिष्ट स्थान है, आइए जानते हैं कैसे शुरू हुआ गुलाम वंश, कौन थे गुलाम वंश के शासक?
गुलाम वंश के शासकों का मोहम्मद गौरी से क्या संबंध था?
गुलाम वंश का प्रथम सुल्तान कौन था?
♠ गुलाम वंश की स्थापना 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी, जो मोहम्मद गौरी ( यह वही मोहम्मद गौरी है जिससे तराइन के दूसरे युद्ध 1192 में पृथ्वीराज चौहान पराजित हो गए थे ) का गुलाम था।
♥ गुलामों को फारसी भाषा में बंदगा कहा जाता है तथा इन्हें सैनिक सेवा के लिए खरीदा जाता था।
♠ कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्य अभिषेक 24 जून 1206 ईस्वी को हुआ था।
♥ कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर बनाई थी।
♠ कुतुब मीनार की नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही डाली थी तथा इसके साथ ही उसने दिल्ली में स्थित कुवत- उल - इस्लाम - मस्जिद एवं अजमेर में स्थित डाई दिन का झोपड़ा ( कहीं-कहीं पर इसे अढ़ाई दिन का झोपड़ा भी कहा जाता है ) नामक मस्जिद का निर्माण भी करवाया था।
♥ कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्श ( लाखों का दान देने वाला) भी कहा जाता है।
♠ प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ऐबक के सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी ने ध्वस्त किया था।
♥ कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु सन 1210 में लगभग 4 साल के शासन काल के बाद हो जाती है, मृत्यु के समय कुतुबुद्दीन ऐबक चौगान नामक खेल खेल रहा था जिसके बाद वह घोड़े से गिरकर मर गया, कुतुबुद्दीन ऐबक को लाहौर में दफनाया गया है।
♠ कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्तराधिकारी- आरामशाह था जो केवल 8 महीनों तक शासन कर पाया उसकी हत्या इल्तुतमिश ने की,
इल्तुतमिश व उसके कार्य-
♥ इल्तुतमिश 1211 में दिल्ली की गद्दी पर बैठा,
♥ इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था, इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम एवं दामाद था, कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूं का गवर्नर था।
♥ इल्तुतमिश ने राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित की थी ।
♥ इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार के निर्माण को पूरा करवाया।
♥ इल्तुतमिश ने सबसे पहले शुद्ध अरबी के सिक्के जारी किए । (चांदी से बने सिक्के को टंका तथा तांबे से बने सिक्के को जीतल कहा जाता था)
♥ इक्ता प्रणाली इल्तुतमिश ने चलाई थी।
♥ तुर्कान ए चहलगानी का निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया था यह 40 गुलाम सरदारों का संगठन था।
♥ इल्तुतमिश ने सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया।
♥ इल्तुतमिश ने हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण देहली-ए-कुहना के निकट करवाया।
♥ इल्तुतमिश पहला ऐसा शासक था जिसने 1229 इसलिए में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की थी।
♥ इल्तुतमिश की मृत्यु 1236 में हुई।
रुकनुद्दीन फिरोज- इल्तुतमिश का उत्तराधिकारी
♠ रुकनुद्दीन फिरोज इल्तुतमिश का पुत्र था, जो एक अयोग्य शासक था, इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी मां शाह तुरकान छाई रही।
♠ शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से तुर्की के अमीर परेशान हो गए थे इसलिए उन्होंने रुकनुद्दीन फिरोज को गद्दी से हटाकर रजिया सुल्तान को सिंहासन पर बिठा दिया।
रजिया सुल्तान-
इस प्रकार रजिया सुल्तान प्रथम मुस्लिम महिला शासिका बनी, रजिया ने पर्दा प्रथा का त्याग किया तथा पुरुषों की तरह चोगा ( काबा ) एवं कुलह ( टोपी ) पहनकर राज दरबार में खुले मुंह से आने लगी।
- रजिया ने मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-अखूर ( घोड़े का सरदार ) नियुक्त किया।
- रजिया सुल्तान ने उन लोगों को सामंत बनाया जो तुर्क नहीं थे, जिसके कारण तुर्की के अमीर उसके विरुद्ध हो गए, इस प्रकार उन्होंने रजिया को बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइजुद्दीन बहरामशाह को बैठा दिया।
- रजिया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई,अल्तुनिया से शादी करने के बाद रजिया ने गद्दी पर बैठने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रही,
- रजिया की हत्या 13 अक्टूबर 1240 को डाकूओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई,
♥ बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई 1242 में करीब दी गई, यह वही बहराम शाह था जिसे रजिया सुल्तान को गद्दी से हटाने के बाद गद्दी पर बैठाया गया था।
♠ 1242 में बहराम शाह की मृत्यु के बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद साहब को बनाया गया,
1246 में बलबन ने षड्यंत्र कर अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया,
नसिरूद्दीन मोहम्मद ऐसा सुल्तान था, जो टोपी सी कर अपना जीवन यापन करता था।
♥ बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ किया था।
बलबन कौन था?
♠ बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था वह इल्तुतमिश का गुलाम था।
♥ बलबन ने तुर्कान ए चहलगानी का विनाश किया था।
♠ बलबन 1266 ईस्वी में गयासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा और इसने मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा की थी।
♥ बलबन ने निम्नलिखित दो प्रथाएं शुरू की थी-
1) सिजदा प्रथा
2) पैबोस प्रथा
♠ बलबन ने फारसी रीति रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारंभ किया था।
♥ अपनी विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर नीति अपनाई जिसे लौह एवं रक्त नीति के नाम से जाना जाता है।
♠ बलबन के दामाद नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलूग खां की उपाधि प्रदान की थी,
♥ बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे।
♠ गुलाम वंश का अंतिम शासक- शम्मुद्दीन कैमुर्स था।
Bahut hi khubsurat post aapne likha gulam vansh ke upar , apko bahut bahut dhanyavad.
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