कच्चा तेल , पेट्रोल, डीजल, गैसोलीन आदि जिस मूलभूत रूप में पाए जाते हैं वह कच्चा तेल होता है, कच्चा तेल प्राचीन समय से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कमोडिटी रही है, कच्चे तेल को बेचकर तेल निर्यातक देश पैसा कमाते हैं जबकि वे देश जहां पर कच्चे तेल की पर्याप्त मात्रा नहीं होती, वे इसको खरीदने पर अत्यधिक पैसा बहाते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता रहता है, यह उतार-चढ़ाव कच्चे तेल की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है, हाल ही में WTI Crude या अमेरिकी कच्चा तेल अपने ऐतिहासिक मूल्य तक गिरा जो -38 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के लगभग था, अमेरिकी कच्चे तेल के इस मूल्य का अर्थ यह है अब अमेरिका इससे तेल खरीदने वाले लोगो या देशों को एक बैरल तेल के साथ उसे और-38 अमेरिकी डॉलर देने के लिए भी तैयार है, अब सवाल उठता है अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है?
तो इसका जवाब जो है कि अमेरिका में बहुत जगह जहां पर वह अपने कच्चे तेल को स्टोर करता है वहां पर स्टोरेज की जगह नहीं बची है और तेल निकालने की प्रोसेस को रोकना एक खर्चीला और कठिन कार्य है, कच्चे तेल की कीमतों में आई इस गिरावट का क्रोना वायरस से सीधा सीधा संबंध है इसी वायरस के कारण दुनियाभर के देशों में लोग डाउन है जिससे कच्चे तेल की डिमांड में भारी कमी आई है और उन्हें खरीददार न के बराबर मिल रहे हैं, इसका एक और कारण तेल उत्पादक देशों के द्वारा समय पर अपने प्रोडक्शन में कमी ना करना भी है।
तो इसका जवाब जो है कि अमेरिका में बहुत जगह जहां पर वह अपने कच्चे तेल को स्टोर करता है वहां पर स्टोरेज की जगह नहीं बची है और तेल निकालने की प्रोसेस को रोकना एक खर्चीला और कठिन कार्य है, कच्चे तेल की कीमतों में आई इस गिरावट का क्रोना वायरस से सीधा सीधा संबंध है इसी वायरस के कारण दुनियाभर के देशों में लोग डाउन है जिससे कच्चे तेल की डिमांड में भारी कमी आई है और उन्हें खरीददार न के बराबर मिल रहे हैं, इसका एक और कारण तेल उत्पादक देशों के द्वारा समय पर अपने प्रोडक्शन में कमी ना करना भी है।
भारत पर प्रभाव-
जब भी कच्चे तेल की बात होती है तो भारत का हर उपभोक्ता उस बात को बड़े ध्यान से सुनता है, क्योंकि भारत अपनी कुल आवश्यकता का 85% से ज्यादा भाग का निर्यात करता है यानी भारत 85% कच्चे तेल को अन्य देशों से मंगाता है उन पर निर्भर है, कच्चे तेल की कीमतें कम होना भारत के लिए महत्वपूर्ण है, इससे भारत को तेल को खरीदने में कम लागत आएगी, पर इसके साथ ही भारत में कच्चे तेल की डिमांड भी कोरोनावायरस के कारण कम हुई है, इसके कारण भारत सरकार को कम राजस्व की प्राप्ति होगी इस संकट की घड़ी में भारत सरकार को अनेक योजनाएं चलानी पड़ रही है और अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए भारत सरकार को पैसों की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत पेट्रोल डीजल तथा अन्य उत्पादों की कीमत में बहुत ज्यादा कमी नहीं करेगा क्योंकि इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार।
Comments
Post a Comment
Please do not share any spam link in comment box