Charter act Charter act 1853 in Hindi - 1853 in Hindi -
1793 से 1853 के दौरान ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किए गए चार्टर अधिनियमओं की श्रृंखला में यह अंतिम अधिनियम था,संवैधानिक विकास की दृष्टि से यह अधिनियम एक महत्वपूर्ण अधिनियम था , इस अधिनियम की विशेषताएं निम्नानुसार थी-
1. 1853 के चार्टर अधिनियम ( Charter Act of 1853 ) की पहली विशेषता यह थी कि इसमें पहली बार गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी एवं प्रशासनिक कार्यों को अलग कर दिया गया, इसके तहत परिषद में 6 नए पार्षद जोड़े गए जिन्हें विधान पार्षद कहा जाता था, दूसरे शब्दों में इसकी बात की जाए तो इसका अर्थ यह है कि इसने गवर्नर जनरल के लिए नई विधान परिषद का गठन किया जिसे भारतीय केंद्रीय विधान परिषद कहा गया, परिषद की इस शाखा ने छोटी संसद की तरह कार्य किया इसमें वही प्रक्रिया अपनाई गई जो ब्रिटिश संसद में अपनाई जाती थी इस प्रकार विधायिका को पहली बार सरकार के विशेष कार्य के रूप में जाना गया, जिसके लिए विशेष मशीनरी और प्रक्रिया की जरूरत थी।
2. 1853 के चार्टर अधिनियम ने सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता व्यवस्था का शुभारंभ किया इस प्रकार विशिष्ट सिविल सेवा भारतीय नागरिकों के लिए भी खोल दी गई और इसके लिए 1854 में भारतीय सिविल सेवा के संबंध में मैकाले समिति की नियुक्ति की गई।
3. इसने कंपनी के शासन को विस्तारित कर दिया और भारतीय क्षेत्र को इंग्लैंड राजशाही के विश्वास के तहत कब्जे में रखने का अधिकार दिया लेकिन पूर्व अधिनियमों के विपरीत इसमें किसी निश्चित समय का निर्धारण नहीं किया गया था इससे स्पष्ट था कि संसद द्वारा कंपनी का शासन किसी भी समय समाप्त किया जा सकता था ।
4. 1853 की चार्टर अधिनियम ने प्रथम बार भारतीय केंद्रीय विधान परिषद में स्थानीय प्रतिनिधित्व ( Local Representative ) प्रारंभ किया,गवर्नर जनरल की परिषद में 6 नए सदस्यों में से 4 का चुनाव बंगाल, मद्रास, मुंबई और आगरा के स्थानीय प्रांतीय सरकारों द्वारा किया जाना था।
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