राज्यों के पुनर्गठन से क्या तात्पर्य है?
एक बड़े राज्य से किसी दूसरे राज्य को बनाने की प्रक्रिया को राज्यों का पुनर्गठन कहते हैं, राज्यों का पुनर्गठन भाषायी आधार, क्षेत्रीय आधार पर या किसी अन्य आधार पर भी किया जा सकता है, उदाहरण के लिए 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य से उत्तराखंड को उसके भौगोलिक संरचना के आधार पर अलग राज्य बनाया गया,
भारत में राज्यों के पुनर्गठन का इतिहास-
यह समय साठ के दशक का था, जब भारत में यह मांग उठी की भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करना उचित है कि नहीं!,
इसकी जांच के लिए संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एस के धर की अध्यक्षता में एक आयोग की स्थापना की जिसमें 4 सदस्य थे,
एसके धर आयोग का संबंध-
एस के धर आयोग का संबंध भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन से हैं, एस के धर आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने का विरोध किया जबकि एस के धर आयोग ने प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया था।
जे वी पी समिति का संबंध-
जीवीपी समिति का गठन कांग्रेस कार्य समिति ने अपने जयपुर अधिवेशन में एस के धर आयोग के निर्णयों की समीक्षा करने के लिए की थी, जेवीपी समिति में 3 सदस्य थे जिनके नाम निम्नलिखित हैं-
जे- जवाहरलाल नेहरू
वी-बल्लभ भाई पटेल
पी-पट्टाभि सीतारामय्या
जे वी पी समिति का निर्णय-
इस समिति ने भी भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को खारिज कर दिया था
जे वी पी समिति का राज्यों के पुनर्गठन पर प्रभाव-
जेवीपी समिति की रिपोर्ट के बाद मद्रास राज्य के तेलुगु भाषियों ने पोट्टी श्री रामुल्लू नामक व्यक्ति के नेतृत्व में आंदोलन प्रारंभ कर दिया और फिर 58 दिन के आमरण अनशन के बाद 15 दिसंबर 1952 ईस्वी को रामुल्लू की मृत्यु हो गयी थी,
श्री रामुल्लू की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री नेहरू ने तेलुगु भाषियों के लिए प्रथक आंध्र प्रदेश राज्य के गठन की घोषणा कर दी और इस प्रकार 1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हो गया,आंध्र प्रदेश राज्य भाषा के आधार पर गठित होने वाला भारत का पहला राज्य था जिसकी तत्कालीन राजधानी कर्नूल थी।
राज्य पुनर्गठन आयोग-
राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन 1953 में हुआ था, इसके अध्यक्ष फजल अली थे, इस आयोग के अन्य सदस्य पंडित हृदयनाथ कुंजरू और सरदार के एम पणिक्कर थे।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम जुलाई 1956 में पास किया गया इसके अनुसार भारत में 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों को स्थापित किया गया,
नवंबर 1954 को फ्रांस की सरकार ने अपनी सभी बस्तियां पांडिचेरी, यनाम, चंद्र नगर और केरी कल को भारत को सौंप दिया, 28 मई 1956 ईस्वी को इस संबंध में संधि पर हस्ताक्षर हो गए इसके बाद इन सभी को मिलाकर पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्र का गठन किया गया।
भारत सरकार ने 18 दिसंबर 1961 ईस्वी को गोवा, दमन व दीव की मुक्ति के लिए पुर्तगालियों के विरुद्ध कार्यवाही की और उन पर पूर्ण अधिकार कर लिया इस प्रकार 12वीं संविधान संशोधन द्वारा गोवा, दमन व दीव को प्रथम परिशिष्ट में शामिल करके भारत का अभिन्न अंग बना दिया गया।
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