लॉर्ड कार्नवालिस-
• लॉर्ड कार्नवालिस भारत के गवर्नर जनरल थे,
लार्ड कार्नवालिस का कार्यकाल-
♦ लॉर्ड कार्नवालिस का शासन काल 1786 से 1793 तक था।
♦ लॉर्ड कार्नवालिस 30 जुलाई 1805 में पुनः गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए थे तथा 5 अक्टूबर 1805 मृत्यु तक इस पद पर रहे।
इन्हें गाजीपुर में दफनाया गया है।
♦ लॉर्ड कार्नवालिस के समय में ही जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
♦ लॉर्ड कार्नवालिस ने उन फौजदारी अदालतों को समाप्त कर दिया जिनमें भारतीय न्यायाधीश नियुक्त होते थे और उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें बनाई जिनमें से तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए नियुक्त की गई थी।
♦ 1793 में लॉर्ड कार्नवालिस ने प्रसिद्ध कान वाले स्कूल का निर्माण किया कार्नवालिस कोड शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत पर आधारित था।
♦ लॉर्ड कार्नवालिस ने पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमीदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया।
♦ लॉर्ड कार्नवालिस ने कंपनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया।
♦ लॉर्ड कार्नवालिस ने जिलों में पुलिस थाने की स्थापना करवाई तथा एक दरोगा को इसका इंचार्ज बनाया।
♦ कार्नवालिस के समय में भारतीय सेना में भारतीयों के लिए सूबेदार, जमादार तथा प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ,सदर,अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊंचा पद नहीं दिया जाता था।
स्थाई बंदोबस्त क्या था?
कार्नवालिस ने 1793 ईस्वी में स्थाई बंदोबस्त की पद्धति लागू की जिसके तहत जिम्मेदार को भू राजस्व का लगभग 90% ( 10/11) भाग कंपनी को जमा करवाना होता था जबकि वह लगभग 10% ( 1/11) अपने पास रख सकता था।
स्थाई बंदोबस्त की योजना जौन शोर ने बनाई थी,
स्थाई बंदोबस्त को बंगाल, बिहार, उड़ीसा बनारस एवं मद्रास के उत्तरी जिलों में लागू किया गया था,
स्थाई बंदोबस्त में जमीदार भू-राजस्व की दर को तय करने के लिए स्वतंत्र था।
• लॉर्ड कार्नवालिस को भारत में नागरिक सेवा का जनक माना जाता है।
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