Static GK in hindi- भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियां -
भारत में क्षमाधान की शक्तियां राष्ट्रपति तथा राज्यपाल के पास हैं, भारत के राष्ट्रपति को क्षमादान शक्तियां अनुच्छेद 72 के अंतर्गत मिलती हैं जबकि राज्यों के राज्यपाल को क्षमादान की शक्तियां अनुच्छेद 161 के अंतर्गत मिलती हैं-
भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों का वर्णन-
भारत के राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों को क्षमा करने की शक्ति प्रदान की गई है जो निम्न मामलों में किसी अपराध के लिए दोषी करार दिए गए हैं-
1. संघीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध में दिए गए दंड में,
2. सैन्य न्यायालय द्वारा दिए गए दंड में,
3. यदि दंड का स्वरूप मृत्युदंड हो,
क्या भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायपालिका से स्वतंत्र है?
जी हां राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायपालिका से स्वतंत्र है वह एक कार्यकारी शक्ति है परंतु राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए किसी न्यायालय की तरह पेश नहीं आता, राष्ट्रपति की इस शक्ति के दो रूप हैं-
अ) विधि के प्रयोग में होने वाली न्यायिक गलती को सुधारने के लिए,
ब) यदि राष्ट्रपति दंड का स्वरूप अधिक कड़ा समझता है तो उसका बचाव प्रदान करने के लिए इस शक्ति का प्रयोग कर सकता है।
राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति में निम्न बातें सम्मिलित हैं-
1. क्षमा-
 इस शक्ति में दंड और बंदीकरण दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी को के सभी दंड, दंड आदेशों और निर्हताआओं से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाता है।
2. लघुकरण-
इसका अर्थ है कि दंड के स्वरूप को बदलकर कम करना, उदाहरण- मृत्युदंड का लघुकरण कर कठोर कारावास में परिवर्तित करना,
3.परिहार
इसका अर्थ है, दंड की प्रकृति में परिवर्तन किए बिना उसकी अवधि कम करना अर्थात दंड वही रहता है जो पहले था परंतु उसकी समय सीमा घटा दी जाती है।
उदाहरण के लिए-
2 वर्ष के कठोर कारावास की सजा को 1 वर्ष के कठोर कारावास में परिहार करना।
4. विराम-
जब किसी दोषी को मूल रूप में दी गई सजा को कि किन्हीं विशेष परिस्थितियों में कम किया जाता है , उदाहरण- शारीरिक अपंगता अथवा महिलाओं की गर्भावस्था की अवधि के कारण ,
5. प्रविलंबन-
जब किसी दंड विशेषकर मृत्युदंड पर अस्थाई रोक लगाना,इसका उद्देश्य है दोषी व्यक्ति का क्षमा याचना अथवा दंड के स्वरूप में परिवर्तन की याचना के लिए समय देना।
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