Bhakti aandolan
एवं उससे संबंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न
सामान्य ज्ञान- इतिहास
भक्ति आंदोलन से संबंधित प्रश्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, भक्ति आंदोलन से जनजागृति में वृद्धि हुई तथा भक्ति आंदोलनों ने भारतीय मनुष्यों की चेतना में वृद्धि की,इसलिए भक्ति आंदोलन से संबंधित प्रश्न महत्वपूर्ण है।
1. भक्ति आंदोलन की शुरुआत छठी शताब्दी में हुई थी,
2. भक्ति आंदोलन मूल रूप से तमिलनाडु क्षेत्र से प्रारंभ होकर कर्नाटक होते हुए महाराष्ट्र तक फैला,
3. भक्ति आंदोलन को 12 अलवार वैष्णव संतो ने 63 नयनार शैव संतो के साथ प्रारंभ किया था,
4. जैनियों और बौद्धों ने अपरिग्रह ( किसी प्रकार की संपत्ति न रखना अपरिग्रह कहलाता है ) को मुक्ति का मार्ग बताया है, जबकि शैव नयनारो और वैष्णव अलवारों ने बौद्धों तथा जैनियों के इस मार्ग को अस्वीकार कर ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति को ही मुक्ति का मार्ग माना है,
5. अप्पार शैव संत थे जिन्होंने पल्लव राजा महेंद्र वर्मन को शैव धर्म स्वीकार करवाया था,
6. भक्ति कवि संतो को संत कहा जाता था और उनके दो समुह थे प्रथम समूह वैष्णव संत थे जो महाराष्ट्र में लोकप्रिय हुए और वैष्णव संत भगवान विठोबा के भक्त थे, विठोवा पंथ के संत और उनके अनुयायी वरकरी या तीर्थयात्री पंथ कहलाए, क्योंकि बिठोवा पंथ के अनुयाई हर साल पंढरपुर की यात्रा पर जाते थे,
संतों का दूसरा समुह पंजाब एवं राजस्थान के हिंदी भाषी क्षेत्रों में सक्रिय था और इसकी निर्गुण भक्ति ( हर विशेषता से परे भगवान की भक्ति ) में आस्था थी,
7. भक्ति आंदोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाने का श्रेय रामानंद को जाता है ।
8. बंगाल में कृष्ण भक्ति की प्रारंभिक प्रतिपादक ओं में विद्यापति ठाकुर और चंडीदास थे ।
9. रामानंद की शिक्षा से दो संप्रदायों का विकास हुआ जिनमें से एक थे सगुण तथा दूसरी थी निर्गुण
सगुण संप्रदाय पुनर्जन्म में विश्वास रखता है और निर्गुण संप्रदाय भगवान के निराकार रूप को पूजता है।
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