What is Regional Comprehensive Economic Partnership Explained in Hindi
Regional Comprehensive Economic Partnership
रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एक प्रकार का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है , फ्री ट्रेड एग्रीमेंट दो समूहों के मध्य एक ऐसा एग्रीमेंट होता है जिसमें दोनों समूह के व्यापार को ड्यूटी फ्री या बहुत कम ड्यूटी देने के पश्चात सामान को अपने देश से दूसरे देश में निर्यात किया जा सकता है ।
सामान्यता यदि दो देशों के मध्य फ्री ट्रेड एग्रीमेंट या नहीं हो तो विभिन्न देश भिन्न-भिन्न तरीके से टैरिफ वसूलते हैं टैरिफ आयात किए गए सामान पर लगने वाला एक प्रकार का टैक्स होता है,
टेरिफ की बात की जाए तो अमेरिका तथा चीन के मध्य चल रहे व्यापक ट्रेड वॉर का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा चीन से आयात किए गए सामानों पर लगने वाला टैरिफ इसका मुख्य कारण था जिसके बाद से अमेरिका तथा चीन के मध्य तनातनी की स्थिति बनी हुई है तथा वे एक दूसरे पर बढ़-चढ़कर टैरिफ लगा रहे हैं, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका तथा चीन विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इसलिए इनके मध्य चल रहा ट्रेड वॉर विश्व के लिए एक बड़ी समस्या है, इस आर्टिकल में हम बात करेंगे रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप के बारे में तथा उसमें भारत के पक्ष में हुई बातों पर-
RCEP - यह एक प्रकार का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है जिसकी स्थापना आसियान के 10 देशों तथा छह अन्य सदस्य देशों ( भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , जापान , चाइना, साउथ कोरिया ) के सहयोग से आसियान 2012 कंबोडिया में हुई सम्मिट में RCEP बनाने का निर्णय लिया गया,
RCEP चर्चा में क्यों है?
हाल ही में 4 नवंबर 2019 को भारत में RCEP रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप को छोड़ने का निर्णय लिया है, जिससे वर्तमान में रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप के सदस्यों की संख्या 16 से घटकर 15 रह गई है।
भारत में रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप को क्यों छोड़ा?
भारत में रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप को इसलिए छोड़ा क्योंकि इसमें भारत की कुछ शर्तों को नहीं माना था-
भारत की कुछ प्रमुख शर्ते निम्न प्रकार थी-
1) भारत चीन से होने वाले आयात की एक सीमा चाहता था, जिससे भारत के छोटे किसान प्रभावित ना हो, जैसे कि आपको पता है चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा यह दुनिया भर में अपने सस्ते निर्यात के लिए जाना जाता है अगर भारत रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप में रहता तो चाइना से अत्यधिक मात्रा में भारत में बहुत सामान आता जिसका भारत खुद भी उत्पादन करता है परंतु इसका मूल्य भारत में उत्पादित सामान के मूल्य से कम होता, सहयोगी देशों के द्वारा भारत की चीन पर वहां से निर्यात की जा सकने वाली सामान की लिमिट तय करने के कारण भारत में रीजनल कंप्रिहेंसिव पार्टनरशिप को छोड़ा
2) इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भारत को आसियान तथा अन्य 5 देशों में उतना मार्केट एक्सेस नहीं मिल पा रहा था जितना की अन्य देशों को भारत में मिल रहा था,
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